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आइए जानते हैं उन 5 प्रमुख श्राप के बारे में, जिनका प्रभाव आज भी है...

Feb 01 2019

Posted By:  Deepak

हिन्दू धर्म ग्रंथो में  श्रापो का बहुत वर्णन किया गया है | हर श्राप के पीछे कोई न कोई घटना जरूर छिपी होती थी | आज हम आपको कुछ ऐसे ही श्रापो के बारे में बताने जा रहे है  जिनका प्रभाव आज भी विध्यमान है | इन श्रापो का प्रभाव आज भी हम महसूस करते है |



तो दोस्तों आज हम आपको ऐसे ही पांच महत्वपूर्ण श्रापो के बारे में बातएंगे जिनका असर आज ही मनुष्य जाति पर है |

1. युधिष्ठिर ने दिया था सभी स्त्रियों को यह श्राप-
जब महाभारत का युद्ध समाप्ति की और था तथा कर्ण की म्रृत्यु हो चुकी थी तब कुंती ने पांडवो के पास आकर कहाँ की कर्ण उनका ही भाई था इस बात को सुनकर पांडवो को बहुत दुःख हुआ | इसके बाद उन्होंने कर्ण का पुरे रीती -रिवाज से अंतिम संस्कार किया | लेकिन उन्हें इस बात का बेहद दुःख था की उनकी माँ कुंती ने उनसे ये सच्चाई छुपाई | इसके बाद युधिष्ठिर ने सभी स्त्री जाति को श्राप दिया की आज के बाद स्त्री किसी भी प्रकार की गोपनीय बात का रहस्य नहीं छुपा पाएगी | इसलिए आज भी लोग कहते है की स्त्रियों के मुँह में कोई बात नहीं रुक सकती है |

2. श्रृंगी ऋषि का परीक्षित को श्राप-
जब पांडव धरती लोक को छोड़कर स्वर्ग की और प्रस्थान कर रहे थे तब उन्होंने अपना सम्पूर्ण राज्य अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को सौप दिया | राजा परीक्षित एक बलशाली राजा था उसके शासन के दौरान समस्त प्रजा सुखमय थी | एक दिन राजा परीक्षित शिकार खेलने जगल की और गए उन्होंने देखा की एक ऋषि तपस्या में लीन है | राजा परीक्षित ऋषि के पास गए तथा उन्होंने ऋषि से बोलने का आग्रह किया लेकिन ऋषि ने अपना मौन व्रत नहीं तोडा ये देखकर राजा परीक्षित अत्यधिक क्रोधित हो गए और उन्होंने ऋषि के गले में एक मरा हुआ सांप डाल दिया | इन ऋषि का नाम ऋषि शामक था जब ये बात ऋषि शामक के पुत्र श्रृंगी ऋषि को पता चली तो उन्होंने राजा परीक्षित को 7 दिन में तक्षक नाग के डसने के कारण उनकी मृत्यु का श्राप दे दिया | इसके 7  बाद राजा परीक्षित की मृत्यु हो गयी | जिसके बाद ही इस धरती पर कलयुग का उदय हुआ कहाँ जाता है की राजा परीक्षित के रहते हुए कलयुग धरती पर नहीं आ सकता था |



3. श्रीकृष्ण का अश्वत्थामा को श्राप -
महाभारत के युद्ध के दौरान जब अश्वत्थामा में पड़ाव पुत्रो का वध कर दिया तब पांडवो में अश्वत्थामा का वध करने के लिये अश्वत्थामा का पीछा किया तब अश्वत्थामा महर्षि वेदव्यास के पास चले गए जहाँ अर्जुन और अश्वत्थामा ने एक दूसरे का वध करने के लिये बह्रमास्त्र का प्रयोग करना चाहा लेकिन महर्षि वेदव्यास ने उन्हें इसे वापस लेने का आग्रह किया | वेदव्यास जी के आग्रह पर अर्जुन ने तो ब्रम्हास्त्र वापस ले लिया लेकिन अश्वत्थामा ये विद्या नहीं जनता था अत: उसने अपने बह्रमास्त्र का इस्तेमाल  अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ पर कर दिया | इससे श्री कृष्ण क्रोधित हो गए और उन्होंने क्रोध में आकर अश्वत्थामा को श्राप दिया की तुम तीन हजार वर्ष तक इस पृथ्वी पर भटकते रहोगे और किसी भी जगह, किसी पुरुष के साथ तुम्हारी बातचीत नहीं हो सकेगी | तुम्हारे शरीर से पीब और लहू की गंध निकलेगी | इसलिए तुम मनुष्यों के बीच नहीं रह सकोगे. दुर्गम वन में ही पड़े रहोगे |

4. माण्डव्य ऋषि का यमराज को श्राप- 
एक बार एक राजा ने ऋषि मांडव्य को भूलवश अपराधी समझकर अपने सेनिको को आज्ञा दी की वह माण्डव्य ऋषि को सूली पर लटका दे | लेकिन जब बहुत देर तक सूली पर लटकने के बाद भी माण्डव्य ऋषि की मृत्यु नहीं हुयी तब राजा को अपनी भूल का अहसास हुआ उन्होंने तुरंत माण्डव्य ऋषि को सूली से उतारकर मॉफी मांगी | इसके बाद माण्डव्य ऋषि यमराज के पास गए और उन्होंने यमराज से इस सजा का कारण पूछा तो यमराज ने ऋषि मांडव्य को कहाँ की जब वह 12 वर्ष के थे तब उन्होंने एक कीड़े की पुंछ में सीक चुभाई थी इसी कारण परिणामस्वरूप उन्हें ये सजा मिली | तब ऋषि मांडव्य ने यमराज से कहाँ ही 12 वर्ष के बालक को धर्म का ज्ञान नहीं होता है उसे सही गलत का पता नहीं होता है | तुमने मुझे गलत सजा दी है अत: में तुम्हे श्राप देता हूँ की तुम शुद्र योनि में दासी के पुत्र के रूप में जन्म लोगे | इसी श्राप के कारण यमराज को विधुर के रूप में जन्म लेना पड़ा था |  
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